Wednesday, 22 April 2015

द्वारकाधीश


मन श्रावण ओला, मन यमुनेचा तीर
मन स्वैर पाखरू घुमणारे भिरभीर
मन लहर जळाची उसळे व्यर्थ दहादा
मन वृन्दावानिची अबोल वेडी राधा

मन मागे पडले खिन्न आर्त गोकूळ
मन माय एकटी अधिर, विरह-व्याकूळ
मन क्षीर शुभ्र, मन फुटलेला घट ओला
मन मोरपंख केसात जुना रुजलेला

मन वेडा कान्हा, मन ओला घननीळ
मन सांज केशरी, मन वेळूची शीळ
मन अथांग सागर, मन तुटलेले पाश
मन निर्मोही, निश्चयी द्वारकाधीश...

अदिती जोशी


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